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अविवाहित लड़कियां

वे बंधी होती हैं अपने सपनों से
चूड़ियों की खनक की जगह
उन्हें सुनाई देती है कोयल की कूक,
उनके स्वास में घुली होती है
फूलों की वादियों की महक,
पायल की झंकार की जगह
वो सुनती हैं
बहते झरने का संगीत,
नदियों के संगम का आहृलादित स्वर
भरता है उनकी रगों में जोश,
पहाड़ों की ऊंचाई से सीखती हैं
वे सीना तान कर खड़ा रहना,
मस्तक पर बिंदी की जगह
उन्हें लुभाता है
आत्मसम्मान का वृहद टीका,
मंगलसूत्र की जगह
वे पहनती हैं
उपलब्धियों की माला,
लक्ष्मण रेखा के परे
वो देखती हैं विस्तृत गगन,
बाज़ सम नापती हैं नभ
बादलों से ऊपर उड़कर
आंकती हैं हुनर की क्षमता,
वे बेफिक्री से लगी रहती हैं
सपनों को हकीकत में बदलने में
समाज में उठाए गए सवालों को
कर दरकिनार,
बढ़ती हैं मंजिल की ओर
अविवाहित रहने वाली लड़कियां
इसलिए अविवाहित नहीं रहती कि,
उन्हें कोई पसंद नहीं करता,
वे शादी करेंगी
उन पुरुषों से, जिन्हें वे पसंद करेंगी
ऐसे पुरुष
जो सही मायने में उनकी उड़ान में संग संग उड़े।

©®✍️ डा सन्तोष चाहार “ज़ोया” २९/०६/२०२०